सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
जन्म - 11 फरवरी,1896
मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल, भारत
मृत्यु - 15 अक्टूबर,1961
इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
जन्म
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में 11 फरवरी,1896 में हुआ था। उनका जन्म रविवार को हुआ था इसलिए सुर्जकुमार कहलाए। उनके पिता पंण्डित रामसहाय तिवारी उन्नाव (बैसवाड़ा) के रहने वाले थे और महिषादल में सिपाही की नौकरी करते थे। वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले का गढ़कोला नामक गाँव के निवासी थे।
शिक्षा
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' की शिक्षा हाई स्कूल तक हुई। बाद में हिन्दी संस्कृत और बांग्ला का स्वतंत्र अध्ययन किया। पिता की छोटी-सी नौकरी की असुविधाओं और मान-अपमान का परिचय निराला को आरम्भ में ही प्राप्त हुआ। उन्होंने दलित-शोषित किसान के साथ हमदर्दी का संस्कार अपने अबोध मन से ही अर्जित किया। तीन वर्ष की अवस्था में माता का और बीस वर्ष का होते-होते पिता का देहांत हो गया। अपने बच्चों के अलावा संयुक्त परिवार का भी बोझ निराला पर पड़ा।
काव्यसंग्रह
'जूही की कली' कविता की रचना 1916 में की गई। अनामिका, परिमल, गीतिका, द्वितीय अनामिका । अनामिका के दूसरे भाग में सरोज सम़ृति और राम की शक्तिपूजा जैसे प्रसिद्ध कविताओं का संकलन है। तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अणिमा, बेला, नये पत्ते, अर्चना, आराधना, गीत कुंज, सांध्यकाकली, अपरा, बादल राग।
उपन्यास
अप्सरा, अलका, प्रभावती, निरुपमा, कुल्ली भाट, बिल्लेसुर बकरिहा।
कहानी संग्रह
लिली, चतुरी चमार, सुकुल की बीवी , सखी, देवी।
निबंध
रवीन्द्र कविता कानन, प्रबंध पद्म, प्रबंध प्रतिमा, चाबुक, चयन, संग्रह।
पुराण कथा
महाभारत
अनुवाद
आनंद मठ, विष वृक्ष, कृष्णकांत का वसीयतनामा, कपालकुंडला, दुर्गेश नन्दिनी, राज सिंह, राजरानी, देवी चौधरानी, युगलांगुल्य, चन्द्रशेखर, रजनी, श्री रामकृष्ण वचनामृत, भारत में विवेकानंद तथा राजयोग का बांग्ला से हिन्दी में अनुवाद।
निधन
इलाहाबाद से सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का विशेष अनुराग लम्बे समय तक बना रहा। इसी शहर के दारागंज मुहल्ले में अपने एक मित्र, 'रायसाहब' के घर के पीछे बने एक कमरे में 15 अक्टूबर 1961 को अपने प्राण त्याग इस संसार से विदा ली।
जन्म - 11 फरवरी,1896
मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल, भारत
मृत्यु - 15 अक्टूबर,1961
इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत
जन्म
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का जन्म बंगाल की महिषादल रियासत (जिला मेदिनीपुर) में 11 फरवरी,1896 में हुआ था। उनका जन्म रविवार को हुआ था इसलिए सुर्जकुमार कहलाए। उनके पिता पंण्डित रामसहाय तिवारी उन्नाव (बैसवाड़ा) के रहने वाले थे और महिषादल में सिपाही की नौकरी करते थे। वे मूल रूप से उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले का गढ़कोला नामक गाँव के निवासी थे।
शिक्षा
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' की शिक्षा हाई स्कूल तक हुई। बाद में हिन्दी संस्कृत और बांग्ला का स्वतंत्र अध्ययन किया। पिता की छोटी-सी नौकरी की असुविधाओं और मान-अपमान का परिचय निराला को आरम्भ में ही प्राप्त हुआ। उन्होंने दलित-शोषित किसान के साथ हमदर्दी का संस्कार अपने अबोध मन से ही अर्जित किया। तीन वर्ष की अवस्था में माता का और बीस वर्ष का होते-होते पिता का देहांत हो गया। अपने बच्चों के अलावा संयुक्त परिवार का भी बोझ निराला पर पड़ा।
काव्यसंग्रह
'जूही की कली' कविता की रचना 1916 में की गई। अनामिका, परिमल, गीतिका, द्वितीय अनामिका । अनामिका के दूसरे भाग में सरोज सम़ृति और राम की शक्तिपूजा जैसे प्रसिद्ध कविताओं का संकलन है। तुलसीदास, कुकुरमुत्ता, अणिमा, बेला, नये पत्ते, अर्चना, आराधना, गीत कुंज, सांध्यकाकली, अपरा, बादल राग।
उपन्यास
अप्सरा, अलका, प्रभावती, निरुपमा, कुल्ली भाट, बिल्लेसुर बकरिहा।
कहानी संग्रह
लिली, चतुरी चमार, सुकुल की बीवी , सखी, देवी।
निबंध
रवीन्द्र कविता कानन, प्रबंध पद्म, प्रबंध प्रतिमा, चाबुक, चयन, संग्रह।
पुराण कथा
महाभारत
अनुवाद
आनंद मठ, विष वृक्ष, कृष्णकांत का वसीयतनामा, कपालकुंडला, दुर्गेश नन्दिनी, राज सिंह, राजरानी, देवी चौधरानी, युगलांगुल्य, चन्द्रशेखर, रजनी, श्री रामकृष्ण वचनामृत, भारत में विवेकानंद तथा राजयोग का बांग्ला से हिन्दी में अनुवाद।
निधन
इलाहाबाद से सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का विशेष अनुराग लम्बे समय तक बना रहा। इसी शहर के दारागंज मुहल्ले में अपने एक मित्र, 'रायसाहब' के घर के पीछे बने एक कमरे में 15 अक्टूबर 1961 को अपने प्राण त्याग इस संसार से विदा ली।
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