Thursday, 18 January 2018

Zail Singh


ज्ञानी ज़ैल सिंह
जन्म - 5 मई, 1916
मृत्यु - 29 नवम्बर 1994

जन्म

ज्ञानी ज़ैल सिंह का जन्म पंजाब में फरीदकोट ज़िले के संधवा नामक गांव में 5 मई, 1916 ई. को हुआ। ज्ञानी ज़ैल सिंह का बचपन का नाम जरनैल सिंह था। पिता खेती करते थे। वह एक किसान के बेटे थे, जिसने हल चलाया, फसल काटी, पशु चराए और खेती के विभिन्न काम करते थे, एक दिन भारत का राष्ट्रपति बन गये। यह बहुत ही असाधारण बात है और इसे सिद्ध कर दिखाया और ज्ञानी ज़ैल सिंह देश के आठवें राष्ट्रपति बन गये।

शिक्षा

ज्ञानी ज़ैल सिंह की स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं हो पाई कि उन्होंने उर्दू सीखने की शुरूआत की, फिर पिता की राय से गुरुमुखी पढ़ने लगे। इसी बीच में वे एक परमहंस साधु के संपर्क में आए। अढाई वर्ष तक उससे बहुत कुछ सीखने-पढ़ने को मिला। फिर गाना-बजाना सीखने की धुन सवार हुई तो एक हारमोनियम बजाने वाले के कपड़े धोकर, उसका खाना बनाकर हारमोनियम बजाना सीखने लगे। पिता ने राय दी कि तुम्हें गाना आता है तो कीर्तन करो, गुरुवाणी का पाठ करो। इस पर जरनैल सिंह ने ‘ग्रंथी’ बनने का निश्चय किया और स्कूली शिक्षा छूटी रह गई। वे गुरुग्रंथ साहब के ‘व्यावसायिक वाचक’ बन गए। इसी से ‘ज्ञानी’ की उपाधि मिली। अंग्रेजों द्वारा कृपाण पर रोक लगाने के विरोध में ज़ैल सिंह को भी जेल जाना पड़ा था। वहां उन्होंने अपना नाम जैल सिंह लिखवा दिया। छूटने पर यही जैल सिंह नाम प्रसिद्ध हो गया।

भारत के राष्ट्रपति

1 9 82 में उन्हें सर्वसम्मति से राष्ट्रपति के रूप में सेवा के लिए नामित किया गया था। बहरहाल, मीडिया में कुछ लोगों का मानना ​​था कि राष्ट्रपति को एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की बजाय इंदिरा वफादार होने के लिए चुना गया था। सिंह ने अपने चुनाव के बाद कहा था कि अगर मेरे नेता ने कहा था कि मुझे एक झाड़ू चाहिए और एक सफाई कर्मचारी बनना चाहिए, तो मैंने ऐसा किया होता। उन्होंने मुझे राष्ट्रपति बनने के लिए चुना। " उन्होंने 25 जुलाई, 1 9 82 को कार्यालय की शपथ ली। वह पद के लिए सबसे पहले सिख थे।
उन्होंने गांधी के पास सेवा की, और प्रोटोकॉल ने तय किया कि उन्हें हर हफ्ते राज्य के मामलों पर ब्योरा देना चाहिए। 31 मई 1 9 84 को ऑपरेशन ब्लू स्टार के पहले दिन, उन्होंने एक घंटे से
भी ज्यादा समय तक गांधी से मुलाकात की, लेकिन उसने अपनी योजना के बारे में एक शब्द भी साझा करने से चूक लिया ऑपरेशन के बाद उन्हें सिखों ने अपने पद से इस्तीफा देने पर दबाव डाला था। उन्होंने इस्तीफे के बारे में फैसला किया कि योगी भजन की सलाह पर स्थिति बढ़ेगी। बाद में उन्हें अकाल तख्त से पहले माफी माँगने और हरिमंदिर साहिब के अपहृत होने और निर्दोष सिखों की हत्या के बारे में उनकी निष्क्रियता की व्याख्या करने के लिए कहा गया। उसी वर्ष इंदिरा गांधी की हत्या 31 अक्टूबर को हुई, और उन्होंने अपने बड़े बेटे राजीव गांधी को प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त किया।

मृत्यु

29 नवम्बर 1994 को रोपर जिले के कितारपुर के पास से यात्रा करते समय एक ट्रक गलत साइड से आ रहा था और कार में यात्रा कर रहे जैल की कार ट्रक से टकरा गयी और उनका एक्सीडेंट हो गया, इस हादसे के बाद जैल बहुत सी बीमारियों से जूझ रहे थे और उन्हें बहुत चोट भी लगी थी। 25 दिसम्बर को 1994 में चंडीगढ़ में उपचार के दौरान की उनकी मृत्यु हो गयी थी। उनकी मृत्यु के बाद भारत सरकार ने सात दिन का राष्ट्रिय शोक भी घोषित किया था। दिल्ली के राज घाट मेमोरियल में उनका अंतिम संस्कार किया गया था। उनकी याद में भारतीय पोस्ट विभाग ने 1995 में सिंह की पहली मृत्यु एनिवर्सरी पर एक पोस्टेज स्टैम्प भी जारी किया था।


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