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Sunday, 3 December 2017



आज हाथ की लकिरो देख ने वाले ने मेरे होश ही उडा दिये
मेरा हाथ देख कर बोला तुझे मोत नही किसी की चाहात मारेगी /

कितने अंदाज से किया उसने नज़र अंदाज,
ए खुदा उसके इस अंदाज को नज़र ना लगे /



 क़भी चुपके से मुस्कुरा कर देखना,
दिल पर लगे पहरे हटा कर देख़ना,
ये ज़िन्दग़ी तेरी खिलखिला उठेगी,
ख़ुद पर कुछ लम्हें लुटा कर देखना
/



नज़रे करम मुझ पर इतना न कर..
कि तेरी मोहब्बत के लिए बागी हो जाऊं
मुझे इतना न पिला इश्क-ए-जाम की,
मैं इश्क़ के जहर का आदी हो जाऊं।


Sunday, 19 March 2017

हमेँ_कहां_मालूम_था_कि
इश्क_होता_क्या_है
बस_एक__तुम__मिले
और_जिन्दगी
मोहब्बत_बन_गई
*दौलत नहीं, शोहरत नहीं, न वाह*
*वाह चाहिए,*
*" कैसे हो..? "बस दो लफ्ज़ों की*
*परवाह चाहिए.!!
मोहब्बत में जब मुझे धोखा मिला
तो ज़िन्दगी में चारो ओर उदासी छा गयी
सोचा था की आग लगा दूंगा इस दुनिया को
पर कम्भख्त कॉलोनी में दूसरी आ गयी