Sunday 19 March 2017

मेरे बहते आंसुओ की कोई कदर नहीं
क्यों इस तरह नजरो से गिरा देते हो
क्या यही मौसम पसंद है तुम्हे जो,
सर्द रातो में आंसुओ की बारिश करवा देते हो

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