Tuesday 18 April 2017

Lal Bahadur Shastri


पूरा नाम - लालबहादुर शास्त्री
वास्तविक नाम -  लाल बहादुर श्रीवास्तव
जन्म - 2 अक्टूबर,1904
जन्म भूमि - वाराणसी के समीप, उत्तर प्रदेश
मृत्यु - 11 जनवरी, 1966
पिता -  शारदा प्रसाद श्रीवास्तव

जन्म

भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को  उत्तर प्रदेश के एक सामान्य निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। आपका वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। शास्त्री जी के पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक शिक्षक थे व बाद में उन्होंने भारत सरकार के राजस्व विभाग में क्लर्क के पद पर कार्य किया।

शिक्षा

माता कि मृत्य़ु के बाद इनका बचपन बहुत कठिनाइओं में बीता, मीलों पैदल चलकर और नदियां तैरकर इन्होंने शिक्षा हासिल की। इनपर श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द का बहुत प्रभाव था।  शास्त्री जी बापू गांधी के आंदोलनों में बड़ चढ़ कर भाग लेते थे, 1921 में विद्यार्थी जीवन में ही जेल गये।और बाद में लाल बहादुर की शिक्षा हरीशचंद्र उच्च विद्यालय और काशी विद्या पीठ में हुई। आपने स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की तत्पश्चात् आपको 'शास्त्री' की उपाधि से सम्मानित किया गया। 


राजनैतिक जीवन 

भारत की स्वतंत्रता के पश्चात शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। गोविंद बल्लभ पंत के मंत्रीमंडल में आपको पुलिस एवं यातायात मंत्रालय सौंपा गया। परिवहन मंत्री के अपने कार्यकाल में आपने महिला संवाहकों (कण्डक्टर्स) की नियुक्ति की।
1951 में, जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में आप अखिल भारतीय काँग्रेस कमेटी के महासचिव नियुक्त किए गए।  1952, 1957 व 1962 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से विजय का श्रेय आपके अथक परिश्रम व प्रयास का परिणाम था।
आपकी प्रतिभा और निष्ठा को देखते हुए भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात कांग्रेस पार्टी ने 1964 में लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री पद का उत्तरदायित्व सौंपा। आपने 9 जून 1964 को भारत के प्रधान मन्त्री का पद भार ग्रहण किया।
प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 26 जनवरी, 1965 को देश के जवानों और किसानों को अपने कर्म और निष्ठा के प्रति सुदृढ़ रहने और देश को खाद्य के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘जय जवान, जय किसान' का नारा दिया।  यह नारा आज भी भारतवर्ष में लोकप्रिय है।  


अनमोल विचार

1. देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है. और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है.

2. आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे ज़रूरी हैं, और यह बेहद महत्त्वपूर्ण है कि हम अपने सबसे बड़े दुश्मन गरीबी और बेरोजगारी से लड़ें.

3. क़ानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और और भी मजबूत बने.

4. हम सभी को अपने अपने  क्षत्रों में उसी समर्पण , उसी उत्साह, और उसी संकल्प के साथ काम करना होगा जो रणभूमि में एक योद्धा को प्रेरित और उत्साहित करती है. और यह सिर्फ बोलना नहीं है, बल्कि वास्तविकता में कर के दिखाना है.

5. जो शाशन करते हैं उन्हें देखना चाहिए कि लोग प्रशाशन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं. अंततः , जनता ही मुखिया होती है.

6. हमारी ताकत और स्थिरता के लिए हमारे सामने जो ज़रूरी काम हैं उनमे लोगों में एकता और एकजुटता स्थापित करने से बढ़ कर कोई काम नहीं है.

7. हम सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि समस्त विश्व के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास रखते हैं.

8. यदि कोई एक व्यक्ति को भी ऐसा रह गया जिसे किसी रूप में अछूत कहा जाए तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा.

9. लोगों को सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसा से प्राप्त नहीं हो सकता है.

10. आज़ादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नही है . पूरे देश को मजबूत होना होगा.



मृत्यु

1965 में पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया I शास्त्री जी ने अपने सैनिकों का इतना हौंसला बढ़ाया की भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को तहस नहस कर दिया और पाकिस्तान की बुरी तरह से हार हुई । रुसी नेताओं के आग्रह पर शास्त्री जी पाकिस्तान से समझौता करने ताशकन्द गये और वंहा पर उनका 11 जनवरी 1965 को इनका हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया देश शास्त्री जी के किये गये कार्यों को हमेशा याद रखेगा।

लालबहादुर शास्त्री जी  को देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त 'भारत रत्न' से सम्मानित किया गया। 

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