Saturday, 20 January 2018

Bheeshm Sahani


जन्म

भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त, सन् 1915 में अविभाजित भारत के रावलपिण्डी में हुआ था। उनके पिता का नाम हरबंस लाल साहनी तथा माता लक्ष्मी देवी थीं। उनके पिता अपने समय के प्रसिद्ध समाजसेवी थे। हिन्दी फ़िल्मों के ख्यातिप्राप्त अभिनेता बलराज साहनी, भीष्म साहनी के बड़े भाई थे। पिता के समाजसेवी व्यक्तित्व का इन पर काफ़ी प्रभाव था।

शिक्षा


भीष्म साहनी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हिन्दी व संस्कृत में हुई। उन्होंने स्कूल में उर्दू व अंग्रेज़ी की शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1937 में 'गवर्नमेंट कॉलेज', लाहौर से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. किया और फिर 1958 में पंजाब विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान समय में प्रगतिशील कथाकारों में साहनी जी का प्रमुख स्थान है।

प्रमुख रचनाएँ


उपन्यास

झरोखे, तमस, बसन्ती, मायादास की माडी, कुन्तो, नीलू निलिमा निलोफर

कहानी संग्रह

मेरी प्रिय कहानियां, भाग्यरेखा, वांगचू, निशाचर

नाटक

हनूश, माधवी , कबीरा खड़ा बजार में, मुआवज़े

आत्मकथा

बलराज माय ब्रदर

बालकथा


गुलेल का खेल

भाषा-शैली


भीष्म साहनी हिन्दी और अंग्रेज़ी के अलावा उर्दू, संस्कृत, रूसी और पंजाबी भाषाओं के अच्छे जानकार थे। वे अपने साहित्य के माध्यम से सामाजिक विषमता व संघर्ष के बन्धनों को तोड़कर आगे बढ़ने का आह्वान करते थे। उनके साहित्य में सर्वत्र मानवीय करुणा, मानवीय मूल्य व नैतिकता विद्यमान है। भीष्म साहनी जी ने साधारण एवं व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग कर अपनी रचनाओं को जनमानस के निकट पहुँचा दिया।

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