Thursday 18 January 2018

Shri Varahagiri Venkata Giri


जन्म - 10 अगस्त 1894, बहरामपुर,
मृत्यु - 23 जून 1980, मद्रास, तमिल नाडु

प्रारंभिक जीवन

वराह गिरि वेंकट गिरि (वी.वी.गिरि) का जन्म 10 अगस्त, 1894 को ओडिशा के बेहरामपुर में एक तेलुगू भाषी ब्राह्मण परिवार में हुआ था | उनके पिता वराह गिरि वेंकट जोगैया पांटुलु एक
प्रतिष्ठित और समृद्ध वकील थे | उन्होंने अपनी प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा गृहनगर में पूरी की | अपनी कानून की शिक्षा के लिए उन्होंने वर्ष 1913 में डबलिन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया |
उसी वर्ष उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई, वी.वी. गिरि उनके विचारों से काफी प्रभावित हुए और उन्हें यह एहसास हुआ कि कानून की शिक्षा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है देश की आजादी
की लड़ाई | वर्ष 1916 में उन्होंने आयरलैंड के ‘सिन्न फ़ाईन आंदोलन’ में सक्रीय रूप से भाग लिया | परिणामतः वे अपनी कानून की शिक्षा पूरी करने में असमर्थ हो गए और उन्हें कॉलेज से
निष्काषित कर दिया गया | यह आयरलैंड की आजादी और श्रमिकों का आंदोलन था, जिसके पीछे वहां के कुछ क्रांतिकारी विचारधारा वाले लोगों जैसे- डी. वालेरा, कोलिन्स, पेअरी, डेसमंड
फिजराल्ड़, मेकनेल और कोनोली का हाथ था | उन्होंने व्यक्तिगत रूप से उनसे मुलाकात की | इस आन्दोलन से प्रभावित होकर वे ऐसे आंदोलनों की आवश्यकता भारत में भी महसूस करने
लगे | इसके बाद वी.वी. गिरि भारत लौट आए और सक्रिय रूप से श्रमिक आंदोलनों में भाग लेना शुरू किए, बाद में वे श्रमिक संगठन के महासचिव नियुक्त किये गए | उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों
में भी सक्रीय रूप से भाग लिया |

भारत के राष्ट्रपति

24 अगस्त 1969 को गिरी भारत के राष्ट्रपति बने और 24 अगस्त 1974 को फखरुद्दीन अली अहमद के राष्ट्रपति बने रहने तक वे भारत के राष्ट्रपति के पद पर कार्यरत थे। चुनाव में गिरी की नियुक्ती राष्ट्रपति के पद पर की गयी थी लेकिन वे केवल एक्टिंग प्रेसिडेंट का ही काम कर रहे थे और वे एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे जिनकी नियुक्ती एक स्वतंत्र उम्मेदवार के रूप में की गयी थी। राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने उस समय में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निर्णयों को भी सुना था। राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उन्होंने 22 देशो के 14 राज्यों का भ्रमण किया। जिनमे दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अफ्रीका भी शामिल है। गिरी को भारत के उन राष्ट्रपतियों में गिना जाता है जिन्होंने अपने अधिकारों को प्रधानमंत्री के अधीन कर दिया था और वे स्वयं को “प्रधानमंत्री का राष्ट्रपति” कहते थे। वे एक सम्माननीय और रबर स्टेम्प प्रेसिडेंट कहलाते थे। 1974 में जब गिरी का कार्यकाल समाप्त हुआ तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी पुनर्नियुक्ति करने की बजाए फखरुद्दीन अली अहमद को 1974 में राष्ट्रपति पद के लिए चुना।

भारत रत्न

गिरी को भारत के सर्वोच्च अवार्ड भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। 1975 में सामाजिक मुद्दों पर उनके सहयोगो के लिए उन्हें भारत रत्न अवार्ड से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रपति रहते हुए गिरी ने स्वः प्रेरणा से 1972 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भारत रत्ना देने की इच्छा जताई थी। लेकिन फिर 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की प्रेरणा पर ही उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। भारत के पाँच राष्ट्रपतियों को मिलने वाले भारत रत्ना अवार्ड में से गिरी चौथे राष्ट्रपति थे।

मृत्यु

24 जून 1980 को हार्ट अटैक की वजह से गिरी की मृत्यु हुई थी। मृत्यु के अगले दिन पुरे राज्य ने उन्हें अंतिम विदाई दी थी और भारत सरकार ने उनके सम्मान में सुबह का मौन भी घोषित किया था। इसके साथ ही उन्हें सम्मान देते हुए भारत सरकार ने दो दिन की राज्य सभा भी स्थगित कर दी थी।

Share this

0 Comment to "Shri Varahagiri Venkata Giri"

Post a Comment