पूरा नाम - राजीव फिरोज गांधी
जन्म - 20 अगस्त, 1944
जन्मस्थान - बम्बई
मृत्यु - 21 मई, 1991
मृत्यु - 21 मई, 1991
पिता - फिरोज गांधी
माता - इंदिरा गांधी
जन्म
राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को भारत के सबसे प्रसिद्ध राजनैतिक परिवार में हुआ था। उनके दादा जवाहरलाल नेहरू ने भारतकी आज़ादी की लड़ाई में मुख्य भूमिका अदा की और स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने। उनके माता पिता अलग-अलग रहते थे अतः राजीव गांधी का पालन पोषण उनके दादा के घर पर हुआ जहाँ उनकी माँ रहती थीं।
शिक्षा
राजीव गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून के मशहूर दून स्कूल से पूरी की। जहाँ महानायक अमिताभ बच्चन से इनकी मित्रता हुई। इसके बाद लंदन विश्वविद्यालय ट्रिनिटी कॉलेज और बाद मे कैंब्रिज में इंजिनियरिंग पढाई करने लगे। 1965 तक वे केम्ब्रिज मे रहे। लेकिन उन्होने अपनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी नही की। 1966 मे वे भारत वापस आ गये। उस टाइम तक उनकी मा इंदिरा गाँधी भारत की प्रधानमंत्री बन चुकी थी। इसके बाद राजीव दिल्ली के फ्लाइंग क्लब से पायलट की ट्रैनिंग ली। और एक कमर्शियल एयरलाइन में पायलट बन गए। उनके छोटे भाई संजय गांधी राजनीति में प्रवेश कर चुके थे और अपनी माँ इंदिरा गांधी के भरोसेमंद प्रतिनिधि बन गए। लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए राजीव की मुलाकात एक लड़की से हुई जो इटली की रहने वाली थी और नाम था एडविग एन्टोनिया एल्बीना माइनो। यही वो लड़की है जो शादी के बाद सोनिया गांधी बनकर भारत आई।
राजनीतिक जीवन
राजीव गांधी की राजनीति में कोई रूचि नहीं थी और वो एक एयरलाइन पाइलट की नौकरी करते थे। आपातकाल के उपरान्त जब इन्दिरा गांधी को सत्ता छोड़नी पड़ी थी, तब कुछ समय के लिए राजीव परिवार के साथ विदेश में रहने चले गए थे। परंतु 1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद माता इन्दिरा को सहयोग देने के लिए सन् 1982 में राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश लिया। वो अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर सांसद बने और 31अक्टूबर 1984 को सिख आतंकवादियों द्वारा प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी की हत्या किए जाने के बाद भारत के प्रधानमंत्री बने और अगले आम चुनावों में सबसे अधिक बहुमत पाकर प्रधानमंत्री बने रहे। उनके प्रधानमंत्रित्व काल में भारतीय सेना द्वारा बोफ़ोर्स तोप की खरीदारी में लिए गये किकबैक (कमीशन - घूस) का मुद्दा उछला। अगले चुनाव में कांग्रेस की हार हुई और राजीव को प्रधानमंत्री पद से हटना पड़ा।
उपलब्धियां
राजीव गांधी एक सशक्त और कुशल राजनेता ही नहीं थे, अपितु स्वप्नदृष्टा प्रधानमन्त्री थे । समय से पूर्व भारत को 21वीं सदी में ले जाने वाले इस प्रधानमन्त्री ने भविष्य के भारत का जो सपना देखा था, उसमें सम्पूर्ण भारत में ज्ञान, संचार, सूचना, तकनीकी सेवाओं के साथ मुख्यत: उसे कम्प्यूटर से जोड़ना था । वे भारत को एक अक्षय ऊर्जा का स्त्रोत बनाना चाहते थे । उनकी इस नवीन कार्यशैली और सृजनात्मकता का ही परिणाम है कि आज भारत सौर ऊर्जा से लेकर देश के कोने-कोने में कम्प्यूटर से जुड़ गया है । आज देश के घर-घर में कम्प्यूटर का उपयोग राजीव गांधी की ही दूरदर्शी सोच का परिणाम है । अपनी विदेश नीति के तहत उन्होंने कई देशों की यात्राएं की । भारत के आर्थिक, सांस्कृतिक सम्बन्ध बढ़ाये । फिलीस्तीनी संघर्ष, स्वापो आन्दोलन, नामीबिया की स्वतन्त्रता का समर्थन, अफ्रीकी फण्ड की स्थापना के साथ-साथ माले में हुए विद्रोह का दमन, श्रीलंका की आतंकवादी समस्या पर निर्भीक दृष्टि रखना, हिन्द महासागर में अमेरिका तथा पाक के बढ़ते सामरिक हस्तक्षेप पर अंकुश लगाना, यह उनकी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियां हैं ।
मृत्यु
21 मई, 1991 को मद्रास से 50 किमी. दूर स्थित श्री पेरुंबुदुर में एक चुनाव सभा में लोगों से हार लेते समय तमिल आतंकवादियों ने उन्हे एक बम विस्फ़ोट में हत्या कर दी।
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