पूरा नाम - विश्वनाथ प्रताप सिंह
जन्म -25 जून 1931
जन्मस्थान - इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु - 27 नवंबर 2008
पिता - राजा बहादुर राय गोपाल सिंह
जन्म -25 जून 1931
जन्मस्थान - इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
मृत्यु - 27 नवंबर 2008
पिता - राजा बहादुर राय गोपाल सिंह
जन्म
विश्वनाथ प्रताप सिंह का जन्म 25 जून 1931 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के एक समृद्ध परिवार में हुआ था। विश्वनाथ प्रताप सिंह के पिता का नाम राजा बहादुर राय गोपाल सिंह था। उनका परिवार मंदा की जागीरदारी पर राज करता था।
शिक्षा
विश्वनाथ प्रताप सिंह ने इलाहाबाद और पूना विश्वविद्यालय में अध्ययन किया था। वह 1947-1948 में उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी की विद्यार्थी यूनियन के अध्यक्ष रहे। विश्वनाथ प्रताप सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्टूडेंट यूनियन में उपाध्यक्ष भी थे। 25 जून 1955 को श्रीमती सीता कुमारी से उनका विवाह हुआ एवं उनके दो बेटे हैं।
राजनीतिक जीवन
विश्वनाथ प्रताप सिंह का राजनैतिक सफर युवाकाल से ही प्रारंभ हो गया था।समृद्ध परिवार से संबंधित होने के कारण उन्हें जल्दी ही सफलता मिल गई। जल्द ही विश्वनाथ प्रताप भारतीय कॉग्रेस पार्टी से संबंधित हो गए थे। सन 1961 में वह उत्तर प्रदेश के विधानसभा में पहुंचे। वे 9 जून 1980 से 28 जून 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे लेकिन जल्दी ही वह 29 जनवरी 1983 से केंद्रीय वाणिज्य मंत्री बन गए। इसके अलावा वह 16 जुलाई 1983 से राज्यसभा के सदस्य और 31 दिसंबर 1984 को देश के वित्तमंत्री भी बने। इसी बीच उनका टकराव राजीव गांधी से हो गया। बोफोर्स तोप घोटाले की वजह से भारतीय समाज में कॉग्रेस की छवि बेहद खराब हो गई जिसका वी.पी. सिंह ने पूरा फायदा उठाया।1989 के चुनाव में कॉग्रेस को भारी क्षति का सामना करना पड़ा लेकिन वी.पी सिंह के राष्ट्रीय मोर्चें को बहुमत मिला और जनता पार्टी और वामदलों की सहायता से उन्होंने प्रधानमंत्री का पद हासिल किया।
विश्वनाथ प्रताप सिंह का राजनैतिक सफर युवाकाल से ही प्रारंभ हो गया था।समृद्ध परिवार से संबंधित होने के कारण उन्हें जल्दी ही सफलता मिल गई। जल्द ही विश्वनाथ प्रताप भारतीय कॉग्रेस पार्टी से संबंधित हो गए थे। सन 1961 में वह उत्तर प्रदेश के विधानसभा में पहुंचे। वे 9 जून 1980 से 28 जून 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे लेकिन जल्दी ही वह 29 जनवरी 1983 से केंद्रीय वाणिज्य मंत्री बन गए। इसके अलावा वह 16 जुलाई 1983 से राज्यसभा के सदस्य और 31 दिसंबर 1984 को देश के वित्तमंत्री भी बने। इसी बीच उनका टकराव राजीव गांधी से हो गया। बोफोर्स तोप घोटाले की वजह से भारतीय समाज में कॉग्रेस की छवि बेहद खराब हो गई जिसका वी.पी. सिंह ने पूरा फायदा उठाया।1989 के चुनाव में कॉग्रेस को भारी क्षति का सामना करना पड़ा लेकिन वी.पी सिंह के राष्ट्रीय मोर्चें को बहुमत मिला और जनता पार्टी और वामदलों की सहायता से उन्होंने प्रधानमंत्री का पद हासिल किया।
मृत्यु
काफी समय तक बहुत से बीमारियों से घिरने के बाद दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में 27 नवम्बर 2008 को उनकी मृत्यु हुई थी। वह काफी समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। अलाहाबाद में गंगा नदी के किनारे पर 29 नवम्बर 2008 को उनका अंतिम संस्कार उनके बेटे अजेय सिंह की उपस्थिति में किया गया।
काफी समय तक बहुत से बीमारियों से घिरने के बाद दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल में 27 नवम्बर 2008 को उनकी मृत्यु हुई थी। वह काफी समय से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे। अलाहाबाद में गंगा नदी के किनारे पर 29 नवम्बर 2008 को उनका अंतिम संस्कार उनके बेटे अजेय सिंह की उपस्थिति में किया गया।
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