कंप्यूटर का वर्गीकरण हम तीन चीजो के आधार पर करते है :-
1.आकार के आधार पर
2.उद्देश्य के आधार पर
3.अनुप्रयोग के आधार पर
आकार के आधार पर कंप्यूटर चार प्रकार के होते है :-
1.माइक्रो कंप्यूटर
2.मिनी कंप्यूटर
3.मेनफ्रेम कंप्यूटर
4.सुपर कंप्यूटर
1.माइक्रो कंप्यूटर :- ये कम्प्यूटर इतने छोटे होते हैं की इन्हें डेस्क पर सरलतापूर्वक रखा जा सकता है | इन्हें computer on a chip भी कहा जाता है | आधुनिक युग में माइक्रो कम्प्यूटर फोन के आकार , पुस्तक के आकार तथा घडी के आकार तक उपलब्ध है | इनकी क्षमता लगभग 1 लाख संक्रियाए प्रति सेकेण्ड होती हैं | इन कम्प्यूटरों का उपयोग मुख्यतः व्यवसाय तथा चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है |
इसके उदाहरण है – IMAC, IBM, PS/2, APPLE MAC आदि |
माइक्रो कम्प्यूटर भी कई प्रकार के होते हैं :–
डेस्कटॉप कम्प्यूटर, लैपटॉप, पामटॉप, टैबलेट, पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (PDA), वर्कस्टेशन आदि|
2.मिनी कंप्यूटर :- सबसे पहला मिनी कंप्यूटर पीडीपी-८ (PDP-8) एक रेफ्रिजरेटर के आकर का था| जिसे डी.ई.सी. (DEC - Digital Equipment Corporation) ने 1965 में तैयार किया था। ये कम्प्यूटर माध्यम आकर के कंप्यूटर होत्ते है। ये कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में अधिक कार्यक्षमता वाले होते है। मिनी कंप्यूटर की कीमत माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होती है। इन कंप्यूटर पर एक साथ एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते है। मिनी कंप्यूटर्स में एक से अधिक C.P.U. होते है। इन कंप्यूटर्स के स्पीड माइक्रो कंप्यूटर से अधिक लेकिन मेनफ्रेम कंप्यूटर से कम होती है। माध्यम स्तर की कंपनियों में मिनी कंप्यूटर ही प्रयोग होते है। मिनी कंप्यूटर के उपयोग यातायात में यात्रियों के आरक्षण के लिए आरक्षण प्रणाली , बैंको में बैंकिंग के लिए , कर्मचारियों के वेतन के लिए पेरोल तैयार करना, वितीय खातों का रखरखाव रखना आदि।
3.मेनफ्रेम कंप्यूटर :- मेनफ्रेम कंप्यूटर आकर में बहुत छोटे होते है। तथा इनकी भण्डारण क्षमता भी अधिक होती है। इनमे अधिक मात्रा में बहुत ही तीव्र गति से डाटा को प्रेसेस करने की क्षमता होती है। इसलिए इनका प्रयोग बड़ी कंपनियों, बैंको , सरकरी विभागों में केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में किया जाता है। ये कंप्यूटर 24 घंटे कार्य कर सकते है। इन कॉम्प्यूटेस पर सेकड़ो यूज़र्स एक साथ कार्य कर सकते है। मेनफ्रेम कंप्यूटर को एक नेटवर्क या माइक्रो कंप्यूटरो के साथ आपस में जोड़ा जा सकता है। इन कंप्यूटर्स का प्रयोग विभिन्न कार्यो की लिए किया जा सकता है। जैसे - उपभोग्ताओ द्वारा खरीद का ब्यौरा रखना, भुगतानों का ब्यौरा रखना , बिलो को भेजना ,नोटिस भेजना , कर्मचारियों का भुगतान करना , टेक्स का विस्तृत ब्यौरा रखना आदि। इसके उदहारण हैं- IBM 4381, ICL39 Series और CDC Cyber Series.
4.सुपर कंप्यूटर :- सुपर कम्प्यूटर सर्वाधिक गति, संग्रह क्षमता, एवं उच्च विस्तार वाले होते हैं | इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है | विश्व का प्रथम सुपर कम्पुटर ‘क्रे रिसर्च कम्पनी ‘ द्वारा 1976 में विकसित CRAY-1 था | भारत के पास भी एक सुपर कम्प्यूटर है जिसका नाम परम (PARAM)है, इसका विकास C-DAC ने किया है| इसका विकसित रूप PARAM-10000 भी तैयार कर लिया गया है | सुपर कम्प्यूटर का मुख्य उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने, एनिमेशन तथा चलचित्र का निर्माण करने , अन्तरिक्ष यात्रा के लिए अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में भेजने, बड़ी वैज्ञानिक और शोध प्रयोशाला में शोध व खोज करने इत्यादि कार्यों में किया जाता है | इसके उदहारण हैं- PARAM, PARAM-10000, CRAY-1, CRAY-2, NEC-500 आदि |
2.उद्देश्य के आधार पर कंप्यूटर दो प्रकार के होते है :-
1.सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर
2.विशिष्ट उद्देश्य कंप्यूटर
1.सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर :- इन कंप्यूटर्स में अनेक प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है लेकिन ये सभी कार्य सामान्य होते है किसी विशेष प्रकार के नहीं होते है। जैसे वर्ड प्रोसेसिंग से (Word Processing) लेटर लिखना। Document तैयार करना। दस्तावेजो को छापना , डाटाबेस बनाना। इन कंप्यूटर में हम किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए कोई स्पेशल डिवाइस नहीं जोड़ सकते है। क्योकि इन की C.P.U. की कार्यक्षमता बहुत कम होती है। इसलिए इन्हें केवल सामान्य उद्देश्य के लिए ही उपयोग किया जा सकता है।
2.विशिष्ट उद्देश्य कंप्यूटर :- इन कम्प्यूटर को किसी विशेष कार्य के लिए बनाया जाता है इन कंप्यूटर के C.P.U. की क्षमता उस उस कार्य के अनुरूप होती है, जिस कार्य के लिए इस कंप्यूटर को बनाया जाता है। अगर इन कंप्यूटर एक से ज्यादा C.P.U. की आवश्यकता होती है, तो इन कंप्यूटर की रचना अनेक C.P.U. वाली कर दी जाती है। जैसे - संगीत संपादन करने के लिए स्टूडियो में लगाया जाने वाला कंप्यूटर विशिष्ट प्रकार का कंप्यूटर होता है। इस कंप्यूटर में संगीत से सम्बंधित उपकरणों को जोड़ा जा सकता है।
इसके आलावा इन कंप्यूटर का प्रयोग अनेक क्षेत्रो में किया जाता है जैसे - अंतरिक्ष विज्ञानं ,मौसम विज्ञानं ,युद्ध के क्षेत्र , उपग्रह संचालन में ,चिकित्सा के क्षेत्र में, भौतिक रसायन में , यातायात नियंत्रण में , कृषि विज्ञानं में , इंजीनरिंग आदि क्षेत्रो में इन कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
3.अनुप्रयोग के आधार पर कंप्यूटर तीन प्रकार के होते है :-
1.एनालॉग कंप्यूटर
2.डिजिटल कंप्यूटर
3.हाइब्रिड कंप्यूटर
1.एनालॉग कंप्यूटर :- भौतिक मात्राओं जैसे- दाब, तापमान, लम्बाई, इत्यादि को मापकर उनके परिणामो को अंको में प्रस्तुत करने के लिए एनालोग कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है क्योंकि ये कम्प्यूटर मात्राओं को अंकों में प्रस्तुत करते हैं,| ये कंप्यूटर किसी भी राशि का मापन तुलना के आधार पर करते है। इसलिए इनका उपयोग विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्र में अधिक किया जाता है | इसके उदाहरण है – स्पीडोमीटर, भूकंप सूचक यंत्र आदि |
2.डिजिटल कंप्यूटर :- अंकों की गणना करने के लिए डिजिटल कम्प्यूटर का उपयोग किया जाता है | आधुनिक युग में प्रयुक्त अधिकतर कम्प्यूटर डिजिटल कम्प्यूटर की श्रेणी में ही आते हैं | ये इनपुट किये गये डेटा और प्रोग्राम्स को 0 और 1 में परिवर्तित करके इन्हें इलेक्ट्रानिक रूप में प्रस्तुत करते हैं | डिजिटल कम्प्यूटर का उपयोग व्यापार में, घर के बजट, एनीमेशन के क्षेत्र में विस्तृत रूप से किया जाता है | इसके उदाहरण है– डेस्कटॉप, लैपटॉप आदि |
3.हाइब्रिड कंप्यूटर :- हाइब्रिड कम्प्यूटर उन कम्प्यूटरों को कहा जाता है, जिसमे एनालोग और डिजिटल दोनों ही कम्प्यूटर के गुण होते हैं | इसके द्वारा भौतिक मात्राओं को अंकों में परिवर्तित करके उसे डिजिटल रूप में ले आते हैं | चिकित्सा के क्षेत्र में इसका उपयोग सर्वाधिक होता है | उदहारण – ECG और DIALYSIS मशीन |
1.आकार के आधार पर
2.उद्देश्य के आधार पर
3.अनुप्रयोग के आधार पर
आकार के आधार पर कंप्यूटर चार प्रकार के होते है :-
1.माइक्रो कंप्यूटर
2.मिनी कंप्यूटर
3.मेनफ्रेम कंप्यूटर
4.सुपर कंप्यूटर
1.माइक्रो कंप्यूटर :- ये कम्प्यूटर इतने छोटे होते हैं की इन्हें डेस्क पर सरलतापूर्वक रखा जा सकता है | इन्हें computer on a chip भी कहा जाता है | आधुनिक युग में माइक्रो कम्प्यूटर फोन के आकार , पुस्तक के आकार तथा घडी के आकार तक उपलब्ध है | इनकी क्षमता लगभग 1 लाख संक्रियाए प्रति सेकेण्ड होती हैं | इन कम्प्यूटरों का उपयोग मुख्यतः व्यवसाय तथा चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है |
इसके उदाहरण है – IMAC, IBM, PS/2, APPLE MAC आदि |
माइक्रो कम्प्यूटर भी कई प्रकार के होते हैं :–
डेस्कटॉप कम्प्यूटर, लैपटॉप, पामटॉप, टैबलेट, पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट (PDA), वर्कस्टेशन आदि|
2.मिनी कंप्यूटर :- सबसे पहला मिनी कंप्यूटर पीडीपी-८ (PDP-8) एक रेफ्रिजरेटर के आकर का था| जिसे डी.ई.सी. (DEC - Digital Equipment Corporation) ने 1965 में तैयार किया था। ये कम्प्यूटर माध्यम आकर के कंप्यूटर होत्ते है। ये कंप्यूटर माइक्रो कंप्यूटर की तुलना में अधिक कार्यक्षमता वाले होते है। मिनी कंप्यूटर की कीमत माइक्रो कंप्यूटर से अधिक होती है। इन कंप्यूटर पर एक साथ एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते है। मिनी कंप्यूटर्स में एक से अधिक C.P.U. होते है। इन कंप्यूटर्स के स्पीड माइक्रो कंप्यूटर से अधिक लेकिन मेनफ्रेम कंप्यूटर से कम होती है। माध्यम स्तर की कंपनियों में मिनी कंप्यूटर ही प्रयोग होते है। मिनी कंप्यूटर के उपयोग यातायात में यात्रियों के आरक्षण के लिए आरक्षण प्रणाली , बैंको में बैंकिंग के लिए , कर्मचारियों के वेतन के लिए पेरोल तैयार करना, वितीय खातों का रखरखाव रखना आदि।
3.मेनफ्रेम कंप्यूटर :- मेनफ्रेम कंप्यूटर आकर में बहुत छोटे होते है। तथा इनकी भण्डारण क्षमता भी अधिक होती है। इनमे अधिक मात्रा में बहुत ही तीव्र गति से डाटा को प्रेसेस करने की क्षमता होती है। इसलिए इनका प्रयोग बड़ी कंपनियों, बैंको , सरकरी विभागों में केंद्रीय कंप्यूटर के रूप में किया जाता है। ये कंप्यूटर 24 घंटे कार्य कर सकते है। इन कॉम्प्यूटेस पर सेकड़ो यूज़र्स एक साथ कार्य कर सकते है। मेनफ्रेम कंप्यूटर को एक नेटवर्क या माइक्रो कंप्यूटरो के साथ आपस में जोड़ा जा सकता है। इन कंप्यूटर्स का प्रयोग विभिन्न कार्यो की लिए किया जा सकता है। जैसे - उपभोग्ताओ द्वारा खरीद का ब्यौरा रखना, भुगतानों का ब्यौरा रखना , बिलो को भेजना ,नोटिस भेजना , कर्मचारियों का भुगतान करना , टेक्स का विस्तृत ब्यौरा रखना आदि। इसके उदहारण हैं- IBM 4381, ICL39 Series और CDC Cyber Series.
4.सुपर कंप्यूटर :- सुपर कम्प्यूटर सर्वाधिक गति, संग्रह क्षमता, एवं उच्च विस्तार वाले होते हैं | इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है | विश्व का प्रथम सुपर कम्पुटर ‘क्रे रिसर्च कम्पनी ‘ द्वारा 1976 में विकसित CRAY-1 था | भारत के पास भी एक सुपर कम्प्यूटर है जिसका नाम परम (PARAM)है, इसका विकास C-DAC ने किया है| इसका विकसित रूप PARAM-10000 भी तैयार कर लिया गया है | सुपर कम्प्यूटर का मुख्य उपयोग मौसम की भविष्यवाणी करने, एनिमेशन तथा चलचित्र का निर्माण करने , अन्तरिक्ष यात्रा के लिए अन्तरिक्ष यात्रियों को अन्तरिक्ष में भेजने, बड़ी वैज्ञानिक और शोध प्रयोशाला में शोध व खोज करने इत्यादि कार्यों में किया जाता है | इसके उदहारण हैं- PARAM, PARAM-10000, CRAY-1, CRAY-2, NEC-500 आदि |
2.उद्देश्य के आधार पर कंप्यूटर दो प्रकार के होते है :-
1.सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर
2.विशिष्ट उद्देश्य कंप्यूटर
1.सामान्य उद्देश्य कंप्यूटर :- इन कंप्यूटर्स में अनेक प्रकार के कार्य करने की क्षमता होती है लेकिन ये सभी कार्य सामान्य होते है किसी विशेष प्रकार के नहीं होते है। जैसे वर्ड प्रोसेसिंग से (Word Processing) लेटर लिखना। Document तैयार करना। दस्तावेजो को छापना , डाटाबेस बनाना। इन कंप्यूटर में हम किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए कोई स्पेशल डिवाइस नहीं जोड़ सकते है। क्योकि इन की C.P.U. की कार्यक्षमता बहुत कम होती है। इसलिए इन्हें केवल सामान्य उद्देश्य के लिए ही उपयोग किया जा सकता है।
2.विशिष्ट उद्देश्य कंप्यूटर :- इन कम्प्यूटर को किसी विशेष कार्य के लिए बनाया जाता है इन कंप्यूटर के C.P.U. की क्षमता उस उस कार्य के अनुरूप होती है, जिस कार्य के लिए इस कंप्यूटर को बनाया जाता है। अगर इन कंप्यूटर एक से ज्यादा C.P.U. की आवश्यकता होती है, तो इन कंप्यूटर की रचना अनेक C.P.U. वाली कर दी जाती है। जैसे - संगीत संपादन करने के लिए स्टूडियो में लगाया जाने वाला कंप्यूटर विशिष्ट प्रकार का कंप्यूटर होता है। इस कंप्यूटर में संगीत से सम्बंधित उपकरणों को जोड़ा जा सकता है।
इसके आलावा इन कंप्यूटर का प्रयोग अनेक क्षेत्रो में किया जाता है जैसे - अंतरिक्ष विज्ञानं ,मौसम विज्ञानं ,युद्ध के क्षेत्र , उपग्रह संचालन में ,चिकित्सा के क्षेत्र में, भौतिक रसायन में , यातायात नियंत्रण में , कृषि विज्ञानं में , इंजीनरिंग आदि क्षेत्रो में इन कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता है।
3.अनुप्रयोग के आधार पर कंप्यूटर तीन प्रकार के होते है :-
1.एनालॉग कंप्यूटर
2.डिजिटल कंप्यूटर
3.हाइब्रिड कंप्यूटर
1.एनालॉग कंप्यूटर :- भौतिक मात्राओं जैसे- दाब, तापमान, लम्बाई, इत्यादि को मापकर उनके परिणामो को अंको में प्रस्तुत करने के लिए एनालोग कंप्यूटर का उपयोग किया जाता है क्योंकि ये कम्प्यूटर मात्राओं को अंकों में प्रस्तुत करते हैं,| ये कंप्यूटर किसी भी राशि का मापन तुलना के आधार पर करते है। इसलिए इनका उपयोग विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्र में अधिक किया जाता है | इसके उदाहरण है – स्पीडोमीटर, भूकंप सूचक यंत्र आदि |
2.डिजिटल कंप्यूटर :- अंकों की गणना करने के लिए डिजिटल कम्प्यूटर का उपयोग किया जाता है | आधुनिक युग में प्रयुक्त अधिकतर कम्प्यूटर डिजिटल कम्प्यूटर की श्रेणी में ही आते हैं | ये इनपुट किये गये डेटा और प्रोग्राम्स को 0 और 1 में परिवर्तित करके इन्हें इलेक्ट्रानिक रूप में प्रस्तुत करते हैं | डिजिटल कम्प्यूटर का उपयोग व्यापार में, घर के बजट, एनीमेशन के क्षेत्र में विस्तृत रूप से किया जाता है | इसके उदाहरण है– डेस्कटॉप, लैपटॉप आदि |
3.हाइब्रिड कंप्यूटर :- हाइब्रिड कम्प्यूटर उन कम्प्यूटरों को कहा जाता है, जिसमे एनालोग और डिजिटल दोनों ही कम्प्यूटर के गुण होते हैं | इसके द्वारा भौतिक मात्राओं को अंकों में परिवर्तित करके उसे डिजिटल रूप में ले आते हैं | चिकित्सा के क्षेत्र में इसका उपयोग सर्वाधिक होता है | उदहारण – ECG और DIALYSIS मशीन |
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