प्रसिद्ध राजनेता और विद्वान डॉ. संपूर्णानंद का जन्म 1 जनवरी, 1889 ई. को वाराणसी में हुआ था। उनके पिता का नाम मुंशी विजयानंद और माता का नाम आनंदी देवी था। पितामह बख्शी सदानंद काशी नरेश के दीवान थे। किनाराम बाबा के आशीर्वाद से सब पुरुषों के नाम के साथ 'आनंद' शब्द लगने लगा। पिता मुंशी विजयानंद सरकारी कर्मचारी थे। संपूर्णानंद जी ने 18 वर्ष की उम्र में बी.एससी. की परीक्षा पास की। अपने अध्यवसाय से इन्होंने फ़ारसी और संस्कृत का भी अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया।कुछ दिनों बाद उनकी नियुक्ति डूँगरपुर कॉले, बीकानेर में प्रधानाचार्य के पद पर हुर्इ। सन् 1921 ई. में महात्मा गॉंधी के राष्ट्रीय आन्दोलन से प्रेरित होकर वे वाराणसी लौट आए और 'ज्ञानमण्डल' में काम करने लगे। इन्हीं दिनों उन्होंने 'मर्यादा' (मासिक) और 'टूडे' (अंग्रेजी दैनिक) का सम्पादन भी किया।
उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अन्तर्गत प्रथम पंक्ति के सेनानी के रूप में कार्य किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् वे उत्तर प्रदेश के गृहमंत्री, शिक्षामंत्री और सन् 1955 ई. में मुख्यमंत्री बने। बाद में सन् 1962 ई. में राजस्थान के राजयपाल नियुक्त हुए। सन् 1967 ई. में राज्यपाल पद में मुक्त होने पर वाराणसी लोैट आए और मृत्युपर्यन्त काशी विद्यापीठ के कुलपति रहे।
डॉ.सम्पूर्णानन्द की प्रसिद्ध कृतियॉं
समाजबाद, आर्यों का आदिदेश, चिद्विलास, गणेश, जीवन और दर्शन, अन्तर्राश्ट्रीय विधान, पूरुषसूक्त, पृथ्वी से सप्तर्षि मण्डल, भारतीय सृष्टिक्रम-विचार, हिन्दू देव परिवार का विकास, वेदार्थ प्रवेशिका, चीन की राज्यक्रान्ति, भाषा की शक्ति तथा अन्य नि बन्ध, अन्तरिक्ष यात्रा, स्फुट विचार, ब्राह्मण सावधान, जयोतिर्विनोद, अधूरी क्रान्ति, भारत के देशी राज्य, महात्म गॉंधी आदि।
इन ग्रन्थों के अतिरिक्त सम्पूर्णानन्द ने सम्राट अशोंक, सम्राट, हर्षवर्धन, चेत सिंह आदि इतिहास-प्रसित्र व्यक्यिों तथा महात्मा गॉंधी, देशबन्धु चितरंजन दास जैसे आधुनिक महापुरुषों की जीवनियॉं तथा अनेक अन्य महत्तवपूर्ण ग्रन्थर भी लिखे हैं।
डा० सम्पूर्णानन्द जी एक सफल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ उच्च कोटि साहित्यकार भी थे। इन्होनें हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने में महान योगदान दिया। लेखक के अतिरिक्त वह अच्छे पत्रकार एवं संपादक भी थे। राजनीति में रहते हुए भी डा० सम्पूर्णानन्द जी ने हिन्दी साहित्य की महती सेवा की। भारत सरकार ने 10 जनवरी 1994 में डॉ संपूर्णानंद जी की स्मृति में उनके नाम से 1 रुपय का स्टांप टिकिट निकाला।
समाजबाद, आर्यों का आदिदेश, चिद्विलास, गणेश, जीवन और दर्शन, अन्तर्राश्ट्रीय विधान, पूरुषसूक्त, पृथ्वी से सप्तर्षि मण्डल, भारतीय सृष्टिक्रम-विचार, हिन्दू देव परिवार का विकास, वेदार्थ प्रवेशिका, चीन की राज्यक्रान्ति, भाषा की शक्ति तथा अन्य नि बन्ध, अन्तरिक्ष यात्रा, स्फुट विचार, ब्राह्मण सावधान, जयोतिर्विनोद, अधूरी क्रान्ति, भारत के देशी राज्य, महात्म गॉंधी आदि।
इन ग्रन्थों के अतिरिक्त सम्पूर्णानन्द ने सम्राट अशोंक, सम्राट, हर्षवर्धन, चेत सिंह आदि इतिहास-प्रसित्र व्यक्यिों तथा महात्मा गॉंधी, देशबन्धु चितरंजन दास जैसे आधुनिक महापुरुषों की जीवनियॉं तथा अनेक अन्य महत्तवपूर्ण ग्रन्थर भी लिखे हैं।
डा० सम्पूर्णानन्द जी एक सफल राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ उच्च कोटि साहित्यकार भी थे। इन्होनें हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने में महान योगदान दिया। लेखक के अतिरिक्त वह अच्छे पत्रकार एवं संपादक भी थे। राजनीति में रहते हुए भी डा० सम्पूर्णानन्द जी ने हिन्दी साहित्य की महती सेवा की। भारत सरकार ने 10 जनवरी 1994 में डॉ संपूर्णानंद जी की स्मृति में उनके नाम से 1 रुपय का स्टांप टिकिट निकाला।
निधन
कुशल तथा निर्भीक राजनेता एवं सर्वतोमुखी प्रतिभा वाले साहित्यकार एवं अध्यापक डॉ. संपूर्णानंद का 10 जनवरी, 1969 को निधन हो गया।
0 Comment to "Dr Sampurnanand"
Post a Comment