Sunday 21 January 2018

Rahul Sankrityayan


केदारनाथ गोवर्धन पाण्डेय (राहुल सांकृत्यायन)
जन्म – 9 अप्रैल, 1893
जन्मस्थान – उत्तर प्रदेश
पिता – गोवर्धन पाण्डेय
माता – कुलवंती

राहुल सांकृत्यायन का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पंदहा गाँव में 9 अप्रैल 1893 को हुआ था। उनके बाल्यकाल का नाम केदारनाथ पाण्डेय था। उनके पिता गोवर्धन पाण्डेय एक धार्मिक विचारों वाले किसान थे। उनकी माता कुलवंती अपने माता-पिता की अकेली पुत्री थीं। दीप चंद पाठक कुलवंती के छोटे भाई थे। वह अपने माता-पिता के साथ रहती थीं और यहीं राहुल सांकृत्यायन का जन्म हुआ[1] जबकि उनके पिता का निवास स्थान कनैला नामक गाँव में था जो आजमगढ़ जिले की ही अतरौलिया तहसील में स्थित है। बचपन में ही इनकी माता का देहांत हो जाने के कारण इनका पालन-पोषण इनके नाना श्री राम शरण पाठक और नानी ने किया था। 1898 में इन्हे प्राथमिक शिक्षा के लिए गाँव के ही एक मदरसे में भेजा गया। राहुल जी का विवाह बचपन में कर दिया गया। यह विवाह राहुल जी के जीवन की एक संक्रान्तिक घटना थी। जिसकी प्रतिक्रिया में राहुल जी ने किशोरावस्था में ही घर छोड़ दिया। घर से भाग कर ये एक मठ में साधु हो गए। लेकिन अपनी यायावरी स्वभाव के कारण ये वहाँ भी टिक नहीं पाये। चौदह वर्ष की अवस्था में ये कलकत्ता भाग आए। इनके मन में ज्ञान प्राप्त करने के लिए गहरा असंतोष था। इसीलिए यहाँ से वहाँ तक सारे भारत का भ्रमण करते रहे।

साहित्यिक जीवन


अपनी 'जीवन यात्रा' में राहुल जी ने स्वीकार किया है कि उनका साहित्यिक जीवन सन् 1927 से प्रारम्भ होता है। वास्तविक बात तो यह है कि राहुल जी ने किशोरावस्था पार करने के बाद ही लिखना शुरू कर दिया था। जिस प्रकार उनके पाँव नहीं रुके, उसी प्रकार उनके हाथ की लेखनी भी कभी नहीं रुकी। उनकी लेखनी से विभिन्न विषयों पर प्राय: 150 से अधिक ग्रन्थ प्रणीत हुए हैं। प्रकाशित ग्रन्थों की संख्या सम्भवत: 129 है। लेखों, निबन्धों एवं वक्तृतताओं की संख्या हज़ारों में हैं।

कहानियाँ
 
सतमी के बच्चे
वोल्गा से गंगा
बहुरंगी मधुपुरी
कनैला की कथा

उपन्यास


    बाईसवीं सदी
    जीने के लिए
    सिंह सेनापति
    जय यौधेय
    भागो नहीं, दुनिया को बदलो
    मधुर स्वप्न
    राजस्थानी रनिवास
    विस्मृत यात्री
    दिवोदास

आत्मकथा

    मेरी जीवन यात्रा

जीवनियाँ

    लेनिन
    कार्ल मार्क्स
    बचपन की स्मृतियाँ
    अतीत से वर्तमान
    स्तालिन
    वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली
    सिंहल घुमक्कड़ जयवर्धन
    माओ-त्से-तुंग
    घुमक्कड़ स्वामी
    मेरे असहयोग के साथी
    जिनका मैं कृतज्ञ
    सरदार पृथ्वीसिंह
    कप्तान लाल
    सिंहल के वीर पुरुष
    महामानव बुद्ध
    नए भारत के नए नेता

यात्रा साहित्य


    लंका
    जापान
    इरान
    मेरी तिब्बत यात्रा
    तिब्बत में सवा बर्ष
    रूस में पच्चीस मास
    किन्नर देश की ओर
    चीन में क्या देखा
    मेरी लद्दाख यात्रा

पुरस्कार


महापण्डित राहुल सांकृत्यायन को सन् 1958 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' और सन् 1963 भारत सरकार द्वारा 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया।

मृत्यु

राहुल सांकृत्यायन को अपने जीवन के अंतिम दिनों में ‘स्मृति लोप’ जैसी अवस्था से गुजरना पड़ा एवं इलाज हेतु उन्हें मास्को ले जाया गया। मार्च, 1963 में वे पुन: मास्को से दिल्ली आ गए और 14 अप्रैल, 1963 को सत्तर वर्ष की आयु में सन्न्यास से साम्यवाद तक का उनका सफर पूरा हो गया।

 

Share this

0 Comment to "Rahul Sankrityayan"

Post a Comment