हरिकृष्ण 'प्रेमी' का जन्म 1908 ई. को गुना, ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था। इनका परिवार राष्ट्रभक्त था तथा इनमें बचपन से ही राष्ट्रीयता के संस्कार थे। दो वर्ष की अवस्था में माता की मृत्यु हो गयी थी। प्रेम की अतृप्त तृष्णा ने उन्हें स्वयं 'प्रेमी' बना दिया। बंधु-बांधवों के प्रति स्नेहालु, मित्रों के प्रति अनुरक्त, स्वदेशानुराग, मनुष्य मात्र के प्रति सौहाएद-यही उनके अंतर मन का विकास है।
भाषा-शैली
भाषा - हरिकृष्ण 'प्रेमी' सफल नाटककार हैं। आपकी भाषा शुध्द साहित्यिक खड़ी बोली है। आपने अवसर, पात्र, विषय आदि के अनुरूप भाषा का सटीक प्रयोग किया है । आवश्यकतानुसार आपने अपनी रचनाओं में तत्सम शब्दों के साथ-साथ, तदभव,देशज एवं उर्दू आदि शब्दों का सुन्दर समावेश किया है। संप्रेषणशीलता आपकी भाषा की प्रमुख विशेषता है ।
शैली - हरिकृष्ण 'प्रेमी जी ने विविध शैलियों का प्रयोग किया है । इन्होने मुख्यतः गीत नाट्यशैली का सफल प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त संवाद शैली, भावात्मक शैली का भी अपने नाटकों में प्रयोग किया है। 'प्रेमी' जी के नाटकों में स्वच्छंदतावादी शैली का सयमित एवं अनुशासित प्रयोग हुआ है।
रचनाएँ -
भाषा-शैली
भाषा - हरिकृष्ण 'प्रेमी' सफल नाटककार हैं। आपकी भाषा शुध्द साहित्यिक खड़ी बोली है। आपने अवसर, पात्र, विषय आदि के अनुरूप भाषा का सटीक प्रयोग किया है । आवश्यकतानुसार आपने अपनी रचनाओं में तत्सम शब्दों के साथ-साथ, तदभव,देशज एवं उर्दू आदि शब्दों का सुन्दर समावेश किया है। संप्रेषणशीलता आपकी भाषा की प्रमुख विशेषता है ।
शैली - हरिकृष्ण 'प्रेमी जी ने विविध शैलियों का प्रयोग किया है । इन्होने मुख्यतः गीत नाट्यशैली का सफल प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त संवाद शैली, भावात्मक शैली का भी अपने नाटकों में प्रयोग किया है। 'प्रेमी' जी के नाटकों में स्वच्छंदतावादी शैली का सयमित एवं अनुशासित प्रयोग हुआ है।
रचनाएँ -
1.बन्धन (नाटक )
2. बादलों के पार (एकांकी )
3. रक्षाबंधन ( नाटक )
मृत्यु
हरिकृष्ण 'प्रेमी' जी की मृत्यु 1974 ई. में हुई थी।
2. बादलों के पार (एकांकी )
3. रक्षाबंधन ( नाटक )
मृत्यु
हरिकृष्ण 'प्रेमी' जी की मृत्यु 1974 ई. में हुई थी।
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