पूरा नाम - हरदनहल्ली डोडे गौड़ा देव गौड़ा
जन्म -18 मई 1933
जन्म भूमि - हरदनहल्ली गांव, हासन, कनार्टक
पिता - डोडे गोवड़ा
माता - देवअम्मा
जन्म
एच.डी. देवगौड़ा' का जन्म 18 मई, 1933 को कर्नाटक के हरदन हल्ली ग्राम में हुआ था। उनका पूरा नाम हरदन हल्ली डोडेगौड़ा देवगौड़ा है। उनके पिता का नाम श्री दोड्डे गौड़ा तथा माता का नाम देवम्या था।
शिक्षा
श्रीमती एल.व्ही. पॉलिटेक्निक कॉलेज, हसन, कर्नाटक से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया था।
जन्म -18 मई 1933
जन्म भूमि - हरदनहल्ली गांव, हासन, कनार्टक
पिता - डोडे गोवड़ा
माता - देवअम्मा
जन्म
एच.डी. देवगौड़ा' का जन्म 18 मई, 1933 को कर्नाटक के हरदन हल्ली ग्राम में हुआ था। उनका पूरा नाम हरदन हल्ली डोडेगौड़ा देवगौड़ा है। उनके पिता का नाम श्री दोड्डे गौड़ा तथा माता का नाम देवम्या था।
शिक्षा
श्रीमती एल.व्ही. पॉलिटेक्निक कॉलेज, हसन, कर्नाटक से उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया था।
परिवारिक जीवन
उन्होंने चिनम्मा से विवाह किया और उनके चार पुत्र हैं – एच.डी. बालकृष्ण गौड़ा, एच.डी. रेवन्ना, डा. एच.डी. रमेश और एच.डी. कुमार स्वामी हैं। उनकी दो पुत्रियां भी हैं जिनका नाम एच.डी. अनुसुइया और एच.डी. शैलजा है। उनके एक पुत्र एच.डी. कुमारस्वामी कनार्टक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
राजनैतिक जीवन
गौड़ा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छोटी उम्र में की। वे पढ़ाई पूरी करने के बाद 20 वर्ष की आयु में राजनीति में आ गए। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर सन 1962 तक पार्टी के कार्यकर्ता रहे। इसके बाद उन्होंने कनार्टक विधानसभा के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। वे राज्य विधानसभा में 1972-1976 तक और 1976-1977 तक विपक्ष के नेता रहे। सन 1975 में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गए आपातकाल के दौरान वे 18 महीने जेल में रहे। इस दौरान उन्होंने कई किताबें पढ़कर और उस दौर में जेल में बंद नेताओं से बात करके अपना राजनीतिक ज्ञान बढ़ाया। इस ज्ञान से उनका राजनैतिक व्यक्तित्व और विचार दोनों ही निखरे। 22 नवंबर 1982 को गौड़ा ने छठवीं विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद वह सातवीं और आठवीं विधानसभा में लोकनिर्माण व सिंचाई मंत्री बने। सिंचाई मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सिंचाई की कई नई योजनाएं शुरू कीं। 1987 में उन्होंने मंत्रीमंडल छोड़ दिया और सिंचाई के लिए अपर्याप्त धन दिए जाने का विरोध किया। 1989 में उन्हें हार का स्वाद चखना पडा। इसके बाद 1991 में वह हासन संसदीय क्षेत्र से संसद के लिए निर्वाचित हुए। उन्होंने कर्नाटक के लोगों खासतौर पर किसानों की समस्याएं उठाने में अहम भूमिका निभाई। आम जनता के साथ-साथ उन्हें संसद में भी सभी से बहुत सम्मान मिला। वह दो बार जनता दल के नेता बने। इसके बाद वह जनता दल पार्टी की ओर से विधायक दल के नेता चुने गए और 11 दिसंबर 1994 को कनार्टक के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला। 1996 में कांग्रेस पार्टी को लोक सभा चुनाव में हार मिली और प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव को पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद एच.डी. देवगोवड़ा देश के 11वें प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वह 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
राजनैतिक जीवन
गौड़ा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छोटी उम्र में की। वे पढ़ाई पूरी करने के बाद 20 वर्ष की आयु में राजनीति में आ गए। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल होकर सन 1962 तक पार्टी के कार्यकर्ता रहे। इसके बाद उन्होंने कनार्टक विधानसभा के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। वे राज्य विधानसभा में 1972-1976 तक और 1976-1977 तक विपक्ष के नेता रहे। सन 1975 में प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाये गए आपातकाल के दौरान वे 18 महीने जेल में रहे। इस दौरान उन्होंने कई किताबें पढ़कर और उस दौर में जेल में बंद नेताओं से बात करके अपना राजनीतिक ज्ञान बढ़ाया। इस ज्ञान से उनका राजनैतिक व्यक्तित्व और विचार दोनों ही निखरे। 22 नवंबर 1982 को गौड़ा ने छठवीं विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद वह सातवीं और आठवीं विधानसभा में लोकनिर्माण व सिंचाई मंत्री बने। सिंचाई मंत्री के कार्यकाल के दौरान उन्होंने सिंचाई की कई नई योजनाएं शुरू कीं। 1987 में उन्होंने मंत्रीमंडल छोड़ दिया और सिंचाई के लिए अपर्याप्त धन दिए जाने का विरोध किया। 1989 में उन्हें हार का स्वाद चखना पडा। इसके बाद 1991 में वह हासन संसदीय क्षेत्र से संसद के लिए निर्वाचित हुए। उन्होंने कर्नाटक के लोगों खासतौर पर किसानों की समस्याएं उठाने में अहम भूमिका निभाई। आम जनता के साथ-साथ उन्हें संसद में भी सभी से बहुत सम्मान मिला। वह दो बार जनता दल के नेता बने। इसके बाद वह जनता दल पार्टी की ओर से विधायक दल के नेता चुने गए और 11 दिसंबर 1994 को कनार्टक के 14वें मुख्यमंत्री के तौर पर पदभार संभाला। 1996 में कांग्रेस पार्टी को लोक सभा चुनाव में हार मिली और प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव को पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद एच.डी. देवगोवड़ा देश के 11वें प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वह 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।
सामान्य मध्यम वर्गीय कृषक परिवार से संबंध एच.डी. देवगौड़ा के व्यक्तित्व पर साफ दिखाई देता है। वह अपने सिद्धांतों और कर्तव्यों के प्रति सचेत रहते थे और किसानों की परेशानियों और उनके परिश्रम का मोल भली-भांति समझते थे।
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