Saturday 13 May 2017

P.V. Narsimha Rao


पूरा नाम - पामुलापति वेंकट नरसिंह राव
जन्म - 28 जून, 1921
जन्म भूमि - वन्गारा, आंध्र प्रदेश
मृत्यु - 23 दिसम्बर, 2004
पिता - पी. रंगा राव
माता - रुक्मिनिअम्मा

जन्म

पी.वी. नरसिंह राव' का पूरा नाम नाम पामुलापति वेंकट नरसिंह राव है। उनका जन्म 28 जून, 1921 में करीमनगर, आंध्र प्रदेश में हुआ था। उनके पिता पी. रंगा राव और माता रुक्मिनिअम्मा कृषक थे।

शिक्षा

प्राथमिक शिक्षा उन्होंने करीमनगर जिले के भीमदेवारापल्ली मंडल के कटकुरु गाँव में पूरी की थी, वहाँ वे अपने रिश्तेदार गब्बेता राधाकिशन राव के घर में रहते थे और ओस्मानिया यूनिवर्सिटी के आर्ट्स कॉलेज में बैचलर डिग्री हासिल करने के लिए पढते थे। बाद में वे हिस्लोप कॉलेज पढने के लिए गये, जो अब नागपुर यूनिवर्सिटी के अधीन आता है। वहाँ रहते हुए उन्होंने लॉ में मास्टर डिग्री पूरी की थी। राव की मातृभाषा तेलगु थी और मराठी भाषा पर भी उनकी अच्छी-खासी पकड़ थी। इसके साथ-साथ दूसरी आठ भाषाओ (हिंदी, ओरिया, बंगाली, गुजरती, कन्नड़, संस्कृत, तमिल और उर्दू भाषा) के साथ-साथ वे इंग्लिश, फ्रेंच, अरबिक, स्पेनिश, जर्मन और पर्शियन भाषा भी बोल लेते थे।

राजनैतिक जीवन

नरसिंह राव भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान एक सक्रीय कार्यकर्ता थे और आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। राजनीति में आने के बाद राव ने पहले आन्ध्र प्रदेश और फिर बाद में केंद्र सरकार में कई महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला। आंध्र प्रदेश सरकार में सन 1962 से 64 तक वे कानून एवं सूचना मंत्री, सन 1964 से 67 तक कानून एवं विधि मंत्री, सन 1967 में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा मंत्री और सन 1968 से 1971 तक शिक्षा मंत्री रहे। नरसिंह राव सन 1971 से 1973 तक आंध्र प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री भी रहे। वे सन 1957 से लेकर सन 1977 तक आंध्र प्रदेश विधान सभा और सन 1977 से 1984 तक लोकसभा के सदस्य रहे और दिसंबर 1984 में रामटेक सीट से आठवीं लोकसभा के लिए चुने गए। राजनीति में उनके विविध अनुभव के कारण ही उन्हें केंद्र सरकार में गृह, रक्षा और विदेश मंत्रालय जैसे मंत्रालयों की जिम्मेदारी सौंपी गयी। नरसिंह राव 14 जनवरी 1980 से 18 जुलाई 1984 तक विदेश मंत्री, 19 जुलाई 1984 से 31 दिसंबर 1984 तक गृह मंत्री एवं 31 दिसंबर 1984 से 25 सितम्बर 1985 तक भारत के रक्षा मंत्री रहे। उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में भी केंद्र सरकार में कार्य किया। नरसिंह राव ने सक्रीय राजनीति से लगभग संन्यास सा ले लिया था पर राजीव गाँधी की हत्या के बाद उनकी किस्मत पलटी और वे एकाएक भारतीय राजनीति के केंद्रबिंदु बन गए। सन 1991 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने सबसे अधिक सीटों पर विजय हासिल की पर उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका था। इसके बाद नरसिंह राव को अल्पमत सरकार चलने की ज़िम्मेदारी सौंपी गयी। इस प्रकार राव नेहरु-गाँधी परिवार के बाहर पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पूरे पांच साल प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे पहले दक्षिण-भारतीय प्रधानमंत्री भी थे।

मृत्यु

9 दिसम्बर 2004 को राव को हार्ट अटैक आया था और इसके तुरंत बाद उन्हें ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस में भर्ती किया गया और भर्ती करने के 14 दिनों बाद 83 साल की आयु 23 दिसम्बर को उन्होंने अंतिम सांसे लीं।

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