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Friday, 19 January 2018

Shri Ram Nath Kovind


रामनाथ कोविंद
जन्म - 1 अक्टूबर 1945

प्रारंभिक जीवन

रामनाथ कोविंद का जन्म 1 अक्टूबर 1945 को भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के कानपूर जिले के डेरापुर के परौन्ख गाँव में हुआ था। उनके पिता मैकूलाल एक किसान थे और माता कलावती गृहणी थी। रामनाथ दलित जाती से संबंध रखते है। 1998 से 2002 के बीच हुए बीजेपी दलित मोर्चा के वे अध्यक्ष थे।

कोविंद जी ने कानपूर यूनिवर्सिटी से बैचलर ऑफ़ कॉमर्स और LLB की डिग्री हासिल कर रखी है। राजनीती में आने से पहले कोविंद पेशे से अधिवक्ता थे। 20 मई 1974 को कोविंद ने सविता कोविंद से शादी की थी। उनके एक बेटा, प्रशांत कुमार और एक बेटी स्वाति भी है।

राजनीतिक सफर

रामनाथ ने 1990 में बीजेपी में शामिल होकर लोकसभा चुनाव लड़ा। चुनाव तो हार गए लेकिन 1993 और 1999 में पार्टी ने इन्हें राज्यसभा भेज दिया गया। इस दौरान रामनाथ बीजेपी अनुसूचित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बने। साल 2007 में रामनाथ बोगनीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन फिर जीत नहीं सके। इसके बाद उन्हें यूपी बीजेपी संगठन में सक्रिय करके प्रदेश का महामंत्री बनाया गया और फिर बिहार का राज्यपाल बनाया गया।
कोविंद राज्यसभा सदस्य के रूप में अनेक संसदीय समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। खासकर अनुसचित जातिाजनजाति कल्याण सम्बन्धी समिति, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता और कानून एवं न्याय सम्बन्धी संसदीय समितियों में वह सदस्य रहे।

राष्ट्रपति

सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन द्वारा 19 जून 2017 को भारत के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार घोषित किये गए। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस करके उनकी उम्मीदवारी की घोषणा की। 20 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति के निर्वाचन का परिणाम घोषित हुआ जिसमें कोविंद ने यूपीए की प्रत्याशी मीरा कुमार को लगभग 3 लाख 34 हजार वोटों के अंतर से हराया। भारत के 13 वे राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के पश्चात 25 जुलाई 2017 को भारत के 14 वे राष्ट्रपति के रूप में कोविंद ने शपथ ग्रहण की।


Pranab Mukherjee


प्रणव मुखर्जी
जन्म - 11 दिसम्बर, 1955

प्रारम्भिक जीवन

श्री मुखर्जी बंगाल प्रांत के मिराटी गाँव में एक बंगाली परिवार में 11 दिसम्बर, 1955 को पैदा हुए थे। उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था। वे सुश्री सुव्रा मुखर्जी के साथ 13 जुलाई, 1957 को परिणय सूत्र में बंधे। उनके दो पुत्र तथा एक लड़की है। पढ़ाई, बागवानी और संगीत उनके मुख्य शौक हैं। उनके पिताजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे तथा उन्होंने 10 वर्षों से ज्यादा का समय जेल में बिताया।

श्री मुखर्जी ने सुरी विद्यासागर कालेज से स्नातकोत्तर की परीक्षा इतिहास और राजनीति शास्त्र जैसे विषयों को लेकर पास की। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एल.एल.बी की पढ़ाई पूरी की और अपनी जिंदगी की शुरूआत डिप्टी एकाउंटेंट जनरल (तार विभाग) में वरीय लिपिक के रूप में शुरू की। उसके बाद उन्होंने पत्रकारिता की परीक्षा भी पास की। उन्होंने बंगाली पब्लिकेशन के लिए भी कार्य किया। वे भारतीय सांख्यिकी विभाग कलकत्ता में चेयरमैन के पद पर भी आसीन हुए। वे रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय और निखिल भारत बंग साहित्य सम्मेलन के चेयरमैन और अध्यक्ष भी रहे। वे बंगिया साहित्य परिषद और विघान मेमोरियल ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी भी हैं।

राजनीतिक जीवन


प्रणब मुख़र्जी का राजनितिक करियर सन 1969 में प्रारंभ हुआ जब उन्होंने वी.के. कृष्ण मेनन के चुनाव प्रचार (मिदनापुर लोकसभा सीट के लिए उप-चुनाव) का सफल प्रबंधन किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने उनके प्रतिभा को पहचाना और उन्हें भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस में शामिल कर जुलाई 1969 में राज्य सभा का सदस्य बना दिया। इसके बाद मुख़र्जी सन कई बार (1975, 1981, 1993 और 1999) राज्य सभा के लिए चुने गए।
धीरे-धीरे प्रणब मुख़र्जी इंदिरा गाँधी के चहेते बन गए और सन 1973 में केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल कर लिए गए। सन 1975-77 के आपातकाल के दौरान उनपर गैर-संविधानिक तरीकों का उपयोग करने के आरोप लगे और जनता पार्टी द्वारा गठित ‘शाह आयोग’ ने उन्हें दोषी भी पाया। बाद में प्रणब इन सब आरोपों से पाक-साफ़ निकल आये और सन 1982-84 में देश के वित्त मंत्री रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सरकार की वित्तीय दशा दुरुस्त करने में कुछ सफलता पायी। उन्ही के कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह को रिज़र्व बैंक का गवर्नर बनाया गया।
सन 1980 में वे राज्य सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता बनाये गए। इस दौरान मुख़र्जी को सबसे शक्तिशाली कैबिनेट मंत्री माना जाने लगा और प्रधानमंत्री की अनुपस्थिति में वे ही कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करते थे।
इसके पश्चात उन्होंने कांग्रेस छोड़ अपने राजनीतिक दल ‘राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस’ का गठन किया पर सन 1989 में उन्होंने अपने दल का विलय कांग्रेस पार्टी में कर दिया। पी.वी. नरसिंह राव सरकार में उनका राजनीतिक कैरियर पुनर्जीवित हो उठा, जब उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया और सन 1995 में विदेश मन्त्री के तौर पर नियुक्त किया गया। उन्होंने नरसिंह राव मंत्रिमंडल में 1995 से 1996 तक पहली बार विदेश मन्त्री के रूप में कार्य किया। सन 1997 में प्रणब को उत्कृष्ट सांसद चुना गया।
सन 2004 मं प्रणब ने पहली बार लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा और पश्चिम बंगाल के जंगीपुर संसदीय क्षेत्र से जीत हासिल की। सन 2004 से लेकर 2012 में राष्ट्रपति बनने तक प्रणब मुख़र्जी यू.पी.ए. गठबंधन सरकार में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आये। इस दौरान वे देश के रक्षा, वित्त और विदेश मंत्री रहे। इसी दौरान मुख़र्जी कांग्रेस संसदीय दल और कांग्रेस विधान दल के मुखिया भी रहे।

सम्मान

न्यूयॉर्क से प्रकाशित पत्रिका, यूरोमनी के एक सर्वेक्षण के अनुसार, वर्ष 1984 में दुनिया के पाँच सर्वोत्तम वित्त मन्त्रियों में से एक प्रणव मुखर्जी भी थे।
 उन्हें सन् 1997 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का अवार्ड मिला।
वित्त मन्त्रालय और अन्य आर्थिक मन्त्रालयों में राष्ट्रीय और आन्तरिक रूप से उनके नेतृत्व का लोहा माना गया। वह लम्बे समय के लिए देश की आर्थिक नीतियों को बनाने में महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। उनके नेत़त्व में ही भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण की 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की अन्तिम किस्त नहीं लेने का गौरव अर्जित किया। उन्हें प्रथम दर्जे का मन्त्री माना जाता है और सन 1980-1985 के दौरान प्रधानमन्त्री की अनुपस्थिति में उन्होंने केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल की बैठकों की अध्यक्षता की।
उन्हें सन् 2008 के दौरान सार्वजनिक मामलों में उनके योगदान के लिए भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से नवाजा गया।


प्रणब मुखर्जी ने कई कितावें भी लिखी हैं जिनके प्रमुख हैं  मिडटर्म पोल, बियोंड सरवाइवल, ऑफ द ट्रैक- सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सैक्रिफाइस, इमर्जिंग डाइमेंशन्स ऑफ इंडियन इकोनॉमी, तथा चैलेंज बिफोर द नेशन।


Pratibha Devi Singh Patil


प्रतिभा देवीसिंह शेखावत
जन्म - 19 दिसम्बर 1934
जन्मस्थान - नाडेगाव, जि .बोदवड, महाराष्ट्र
पिता - नारायण राव पाटिल

प्रारंभिक जीवन

श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल (Pratibha Patil) का जन्म 19 दिसम्बर 1934 को महाराष्ट्र के नन्दगांव जिले में हुआ था उन्होंने अपनी आरम्भिक शिक्षा आर.आर.स्कूल , जलगांव एवं स्नातकोत्तर की डिग्री राजनीति विज्ञान एवं अर्थशास्त्र विषयों में मूलजी जेठ कॉलेज से प्राप्त कीतत्पश्चात उन्होंने राजकीय कॉलेज , बम्बई से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की श्रीमति पाटिल कॉलेज जीवन में खेलकूद प्रतियोगिताओ में सक्रिय भागीदारी निभाती थी स्नातकोत्तर एवं विधि स्नातक अध्ययन के दौरान भी उन्होंने अनेक सम्मानजनक पदक प्राप्त किये

राजनीतिक करियर


प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने 27 साल की उम्र में राजनीतिक करियर की शुरूआत की और वर्ष 1962 के बाद से चुनाव लड़ा, उसमें उन्होंने जीत हासिल की है। वर्ष 1962 से 1985 तक, वह महाराष्ट्र विधानसभा की सदस्य रही थीं और इसी अवधि के दौरान उन्हें शिक्षा, शहरी विकास और आवास, पर्यटन, जन स्वास्थ्य और समाज कल्याण, संसदीय कार्य, सांस्कृतिक मामलों आदि जैसे कई विभागों के मंत्री के रूप में चुना गया था। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को विभिन्न मुख्यमंत्रियों के मंत्रालय में कैबिनेट रैंक के उपमंत्री के लिए पदोन्नत किया गया।
वर्ष 1967 में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल पहली बार शिक्षा के लिए उप मंत्री बनी। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल विधानसभा के लिए जलगांव या एदलाबाद निर्वाचन क्षेत्र से पुन: निर्वाचित हुई थीं। वर्ष 1985 में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया और वर्ष 1988 में उन्हें एमपीसीसी प्रमुख (चीफ) के पद पर नियुक्त किया गया, इस पद पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने केवल दो वर्षों तक कार्य किया और वर्ष 1991 में उन्हें लोक सभा के लिए निर्वाचित किया गया। वर्ष 1991 से 1996 तक, प्रतिभा देवी सिंह पाटिल अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से संसद सदस्य थी। 8 नवम्बर 2004 को प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को राजस्थान के 24वें राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया और 2007 तक उस कार्यकाल को संभालने वाली वह पहली महिला बनी।
वर्ष 2007 में प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ा और तीन लाख से अधिक वोटों से अपने प्रतिद्वंदी को हराने के बाद एक विशिष्ट बढ़त के साथ जीत हासिल की।
25 जुलाई 2007 को प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने राष्ट्रपति पद के लिए शपथ ग्रहण की और भारत की प्रथम महिला राष्ट्रपति बनने का पदभार संभाला। प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 25 जुलाई 2012 तक इस पद पर कार्यरत रहीं और उसके बाद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति पद की गद्दी को संभाला।

Thursday, 18 January 2018

Dr. Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam


डॉ.अवुल पकिर जैनुलअबिदीन अब्दुल कलाम
जन्म - 15 अक्टूबर 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु
मृत्यु - 27 जुलाई, 20 15, शिलोंग, मेघालय

प्रारंभिक जीवन

15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गाँव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्ग मुस्लिम परिवार में इनका जन्म हुआ। इनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज़्यादा पढ़े-लिखे थे, न ही पैसे वाले थे। इनके पिता मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम संयुक्त परिवार में रहते थे। परिवार की सदस्य संख्या का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह स्वयं पाँच भाई एवं पाँच बहन थे और घर में तीन परिवार रहा करते थे। अब्दुल कलाम के जीवन पर इनके पिता का बहुत प्रभाव रहा। वे भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उनकी लगन और उनके दिए संस्कार अब्दुल कलाम के बहुत काम आए। पाँच वर्ष की अवस्था में रामेश्वरम के पंचायत प्राथमिक विद्यालय में उनका दीक्षा-संस्कार हुआ था।

वैज्ञानिक जीवन

1962 में वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन से जुड़े। अब्दुल कलाम को परियोजना महानिदेशक के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था। इस प्रकार भारत भी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी नियंत्रित प्रक्षेपास्त्र (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया। इन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसे प्रक्षेपास्त्रों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने रणनीतिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की। कलाम ने भारत के विकासस्तर को 2020 तक विज्ञान के क्षेत्र में अत्याधुनिक करने के लिए एक विशिष्ट सोच प्रदान की। यह भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आये और उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर केन्द्रित किया। अग्नि मिसाइल और पृथवी मिसाइल का सफल परीक्षण का श्रेय काफी कुछ उन्हीं को है। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुये। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ।

भारत के राष्ट्रपति

एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर उनकी उपलब्धियों और प्रसिद्धि के मद्देनज़र एन. डी. ए. की गठबंधन सरकार ने उन्हें वर्ष 2002 में राष्ट्रपति पद का उमीदवार बनाया। उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी लक्ष्मी सहगल को भारी अंतर से पराजित किया और 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लिया। डॉ कलाम देश के ऐसे तीसरे राष्ट्रपति थे जिन्हें राष्ट्रपति बनने से पहले ही भारत रत्न ने नवाजा जा चुका था। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन और डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जा चुका था।

सम्मानित अवार्ड

पद्म भूषण, 1981
पद्म विभूषण, 1990
भारत रत्न, 1997
वॉन ब्राउन अवार्ड, 2013
साथ ही तमिलनाडू में 15 अक्टूबर को Youth Renaissance Day यानि की युवा पुनर्जागरण दिवस के रूप में मनाया जाता है।

मृत्यु

27 जुलाई, 2015 को भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग, मेघालय में उनके एक लेक्चर के दौरान हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गयी।

भले ही वे हमें छोड़ कर चले गए पर उन्होंने भारत को जो सफलता और ऊंचाई दिया है उसको पूरा देश ही नहीं विश्व सदा याद रखेगा।

Shankar Dayal Sharma


शंकर दयाल शर्मा
 जन्म - 19 अगस्त 1918
मृत्यु - 26 दिसम्बर 1999

जन्म

शंकर दयाल शर्मा का जन्म 19 अगस्त 1918 को भोपाल में 'दाई का मौहल्ला' में हुआ था। उस समय भोपाल को नवाबों का शहर कहा जाता था। अब यह मध्य प्रदेश में है। इनके पिता का नाम 'पण्डित खुशीलाल शर्मा' था और वह एक प्रसिद्ध वैद्य थे। इनकी माता का नाम 'श्रीमती सुभद्रा देवी' था।

शिक्षा

डॉ शंकरदयाल शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय 'दिगम्बर जैन स्कूल' में हासिल की थी। उन्होंने 'सेंट जोंस कॉलेज', आगरा और बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय से एल एल.बी. की उपाधि प्राप्त की थी। आपने अंग्रेज़ी साहित्य और संस्कृत सहित हिन्दी में स्नातकोत्तर उपाधियाँ अर्जित की थीं। उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैण्ड गए। वहाँ क़ानून की शिक्षा ग्रहण की और पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। विश्वविद्यालय ने शंकरदयाल शर्मा को 'डॉक्टर आफ लॉ' की मानद विभूति से अलंकृत किया था। कुछ समय तक 'कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय' में क़ानून के अध्यापक रहने के बाद आप भारत वापस लौट आए और लखनऊ विश्वविद्यालय में क़ानून का अध्यापन कार्य करते रहे।

विवाह

7 मई 1950 में श्री शंकरदयाल शर्मा का विवाह 'विमला शर्मा' के साथ सम्पन्न हुआ। इनका विवाह जयपुर में सम्पन्न हुआ था। शर्मा दम्पति को दो पुत्र एवं दो पुत्रियों की प्राप्ति हुई। विवाह के बाद विमला शर्मा समाज सेवा के कार्यों में व्यस्त रहती थीं। 1985 में वह उदयपुरा क्षेत्र से मध्य प्रदेश विधानसभा की विधायिका चुनी गईं। इस सीट से यह प्रथम महिला विधायिका निर्वाचित हुई थीं।

राजनैतिक शुरूआत


1940 के दशक में वे भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में शामिल हो गए, इस हेतु उन्होंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले ली, 1952 में भोपाल के मुख्यमंत्री बन गए, इस पद पर 1956 तक रहे जब भोपाल का विलय अन्य राज्यों में कर मध्यप्रदेश की रचना हुई। 1960 के दशक में उन्होंने इंदिरा गांधी को कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व प्राप्त करने में सहायता दी। इंदिरा कैबिनेट में वे संचार मंत्री (1974-1977) रहे, 1971 तथा 1980 में उन्होंने भोपाल से लोक सभा की सीट जीती, इसके बाद उन्होंने कई भूष्नात्मक पदों पर कार्य किया, 1984 से वे राज्यपाल के रूप में आंध्रप्रदेश में नियुक्ति के दौरान दिल्ली में उनकी पुत्री गीतांजली तथा दामाद ललित माकन की हत्या सिख चरमपंथियों ने कर दी, 1985 से 1986 तक वे पंजाब के राज्यपाल रहे, अन्तिम राज्यपाल दायित्व उन्होंने 1986 से 1987 तक महाराष्ट्र में निभाया। इसके बाद उन्हें उप राष्ट्रपति तथा राज्य सभा के सभापति के रूप में चुन लिया गया गया इस पद पर वे 1992 में राष्ट्रपति बनने तक रहे। शर्मा संसदीय मानको का सख्ती से पालन करते थे, राज्य सभा में एक मौके पर वे इसलिए रो पड़े थे कि क्योंकि राज्य सभा के सदस्यों ने एक राजनैतिक मुद्दे पर सदन को जाम कर दिया था। राष्ट्रपति चुनाव उन्होंने जार्ज स्वेल को हरा के जीता था इसमे उन्हें 66% मत मिले थे। अपने अन्तिम कार्य वर्ष में उन्होंने तीन प्रधानमंत्रियो को शपथ दिलाई।

मृत्यु

अपने जीवन के अंतिम पाँच वर्षो में शर्मा गंभीर स्वास्थ समस्या से जूझ रहे थे। 26 दिसम्बर 1999 को उन्हें एक जोरदार दिल का दौरा आया और तुरंत उन्हें नयी दिल्ली के हॉस्पिटल में भर्ती किया गया, जहाँ उनकी मृत्यु हो गयी थी।

Kocheril Raman Narayanan


कोचेरिल रमण नारायण
जन्म - 27 अक्टूबर 1920
निधन - 9 नवंबर 2005

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

के. आर. नारायणन का जन्म 27 अक्टूबर 1920 को केरल के त्रावणकोर में कोच्चि रमन वैद्य और पन्नाथथुरेटेटि पैप्पियाम्मा में हुआ था। उनका जन्म एक बहुत गरीब दलित परिवार में हुआ था और सात भाइयों के बीच में वह चौथे थे। उनके परिवार को उस समय प्रचलित जातिवाद का सामना करना पड़ा।
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरकारी लोअर प्राइमरी स्कूल, कुरिचिथमम से प्राप्त की और बाद में उन्होंने 1931 में उज्जाउर में लेडी ऑफ़ लूर्डेस प्राइमरी स्कूल में दाखिला लिया।  1943 में उन्होंने बीए किया और त्रावणकोर विश्वविद्यालय (वर्तमान में केरल विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है) से अंग्रेजी साहित्य में, एम ए किया। उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया और त्रावणकोर में प्रथम श्रेणी में डिग्री प्राप्त करने वाले, पहले दलित बन गये।

राजनीतिक करियर

1984 में, इंदिरा गांधी के अनुरोध पर नारायणन ने चुनावी राजनीति में प्रवेश किया और 1984, 1989 और 1991 में केरल के ओट्टापलम निर्वाचन क्षेत्र से संसद में तीन बार चुने गए। उन्होंने
राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री के रूप में भी सेवा की। उन्होंने 1985 और 1989 के बीच अलग-अलग समय पर योजना, विदेश मामलों और विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभागों का आयोजन किया।
1992 में, पूर्व प्रधान मंत्री वी. पी. सिंह ने उपराष्ट्रपति के कार्यालय के लिए नारायणन का नाम प्रस्तावित किया और 21 अगस्त 1992 को, नारायणन को सर्वसम्मति से भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया। उन्होंने 1992 से 1 997 तक भारत के नौवें उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा की। उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल के पूरा होने के बाद, उन्हें भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया और 25 जुलाई 1997 को उन्होंने कार्यालय संभाला। वह भारत के उच्चतम कार्यालय में राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने वाले पहले  दलित थे। उन्होंने पांच साल तक कार्य किया और 2002 में राष्ट्रपति के पद से सेवानिवृत्त हुए।

निधन

के. आर. नारायणन जी का 9 नवंबर 2005 में निमोनिया और गुर्दे के सुजन होने के कारण 85 वर्ष की आयु में निधन हो गया।